Tuesday, 28 October 2008

शिखंडियों का राज

बात सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन ये सच है...अगर देश में सबकुछ इसी तरह से चलता रहा तो आज से पांच छह साल बाद देश कहे जाने वाले भारत का एक बड़ा हिस्सा गृह युद्ध की चपेट में होगा...
मुंबई में जिस तरह से बिहार के एक युवक को गोली मार दी गई उससे साफ हो गया है कि अब भारत नाम के इस देश में कानून और व्यवस्था संभालने वाले लोग भी प्रादेशिक भावनाओं के शिकार हो गए है...
कुछ ऐसे तथ्यों की तरफ ध्यान दिलाना चाहूंगा जो स्थितियों को साफ करते हैं...श्रीलंका और मलेशिया में अगर तमिलों को कुछ होता है तो तमिलनाडु के राजनीतिक दल आसमान सर पर उठा लेते हैं...सारी मर्यादाओं को ताक पर रखकर केंद्र को उन देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना पड़ता है...
फिजी में अगर महेंद्र चौधऱी को सत्ता से हटाया गया तो भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई...
लेकिन क्या महाराष्ट्र में जो हो रहा है उसे रोकने में हमारी सरकार नाकाम है...
कहते हैं बिहारी इस देश को डोमिनेट करते हैं...बिहार का अगर नाम ले तो सिर्फ बिहार ही नहीं झारखंड और आधा यूपी....इस पूरे इलाक़े की राजनीतिक ताकत को तौले तो वो तमिलनाडु और महाराष्ट्र की राजनीतिक ताकत पर भारी पड़ती है....
आखिर क्यों अर्से से एक कौम की गैरत को ललकारा जा रहा है...क्या वाकई उत्तर के लोग इतने निकम्मे और नकारा हो गए है कि उन्हें सिर्फ मारपीट कर ही दुरुस्त किया जा सकता है...उत्तर भारतियों के प्रति कैसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं ये मुंबई के नपुंसक नेता...
तो आखिर मुंबई में जो हो रहा है उसको क्यों नहीं रोका जा रहा है...इस पूरे घटनाक्रम में तीन मुख्य किरदार है...एक शिखंडी जो राजा बनना चाहता है नाम है राज ठाकरे...एक विलासी और बेहया मुख्यमंत्री जो किसी भी क़ीमत पर अपनी कुर्सी बचाए रखना चाहता है...और धृतराष्ट्र जो महाराष्ट्र की गद्दी पर कब्ज़ा करना चाहते हैं....शरद पवार और शिवराज पाटिल...
शिखंडी राज को विलासी देशमुख का समर्थन हासिल है....और बीसीसीआई में नंगा नाच करवाने वाले पवार को महाराष्ट्र का पावर चाहिए...तो शिवराज पाटिल की नपुंसकता को देश ने कई बार देखी है...आखिर क्या इन लोगों के अपने क्षुद्र हित इतने प्रभावी हो गए हैं कि ये लोग पूरे देश को दांव पर लगा दें....
याद आता है जब कुछ साल पहले महाराष्ट्र में इसी तरह से उत्तर भारतीयों को पीटा गया था...किसी ने कुछ नहीं बोला था...पिछले साल जब ये वारदात हुई तो रांची में लोगों ने मराठी लोगों को निशाना बनाया था...इस साल बिहार का एक साहसी युवक अपना विरोध दर्ज कराने मुंबई पहुंच गया..किसी ने ये कल्पना भी नहीं की होगी की एक बिहारी अपना विरोध दर्ज कराने के लिए मुंबई जा सकता है...मुंबई में कुछ नपुंसकों ने उसकी हत्या कर दी...तो अगर इस आधार पर देखे तो इतना तो तय लगता है कि अगर अगले पांच छह सालों में घटनाए इसी रफ्तार से आगे बढ़ती रही तो हो न हो बिहार के लोग एक दिन इस देश से अगल अपने लिए नए देश की तलाश में आवाज़ बुलंद करेंगे...तो ये तो तय रहा की ये देश अब गृहयुद्ध की दिशा में आगे बढ़ रहा है...
धृतराष्ट्र शरद पवार के
पट्ठे और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री आरआर पाटिल ने पुलिस कार्रवाई का बचाव किया और कहा कि किसी को भी ख़ुलेआम गोली चलाने की छूट नहीं दी जा सकती...उसने कहा कि पुलिस ने अपना कर्तव्य सही से निभाया है और किसी को भी अपने हाथ में क़ानून लेने की छूट नहीं...पाटिल ने कहा, “जो कानून अपने हाथ में लेगा और लोगों को डराने की कोशिश करेगा उसे गोली से ही जवाब मिलेगा. पुलिस ने सिर्फ़ अपना कर्तव्य निभाया है.”
क्या इस मूर्ख से कोई ये सवाल पूछ सकता है कि आखिर शिखंडी राज मुंबई में क्या कर रहा है...वो किस कानून का पालन करता है...आखिर वो शिखंडी जब कानून हाथ में लेता है तो धृतराष्ट्र शरद पवार के इस अदने से दरबारी को क्यों कुछ दिखाई नहीं देता...इस आरआर पाटिल पर महाराष्ट्र के कानून व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी है...इससे पहले भी कई बार अपने कारनामों से ये बता चुका है कि उसमें कितना पौरुष शेष है...राज जैसे शिखंडी की आवाज़ सुनते ही चूहे की तरह बिल में समा जाता है ये आर आर पाटिल....आखिर क्यों नहीं रोकता है शिखंडी राज को...
और अब बात बिहार के विभिषणों की...केंद्र में राज कर रही यूपीए सरकार की कुंजी बताते हैं इन विभिषणों लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान के पास है...आखिर ये सत्ता में मद में कितने अंधे हो गए हैं...क्यों नहीं सिख लेते ये करुणानिधि से....श्रीलंका में थोड़ा सा बवाल होने पर करुणानिधि केंद्र सरकार की ईंट से ईंट बजा देते हैं....फिर ये बिहार के विभिषण अपने लोगों को पिटता देखकर भी क्यों कोई बड़ा कदम नहीं उठाते....आखिर उन्हीं बेचारे गरीब लोगों के वोट के बदौलत तो ये दो कौड़ी के विभिषण सत्ता के सौदागर बन गए हैं....
अब सवाल देश के लोगों से
क्यों नहीं देश के न्यायप्रिय और बुद्धीजीवी कहे जाने वाले लोग सड़क पर उतर पर इस अन्याय का विरोध करते हैं...क्यों नहीं इस देश को बर्बाद होने से रोकने की पहल होती है....आखिर क्यों पूरा देश खल नायकों के हाथ में चला गया है...
आखिर में सभी बिहारियों से पूछना चाहूंगा कि क्या वाकई बिहार की मिट्टी का गौरव खत्म हो गया है...कब तक बिहार की माटी के लोग अपमान बर्दाश्त करते रहेंगे...आखिर क्यों न अपने लिए नई संभावना तलाश की जाए...किसी बड़े भू भाग में दोयम दर्जे का नागरिक बनने से क्या ये बेहतर नहीं होगा की अपना भविष्य खुद तय किया जाए...क्या अब समय नहीं आ गया है कि जय हिन्द के बजाए जय बिहार बोला जाए

5 comments:

Unknown said...

उत्तेजना और जोश में लिखा हुआ अच्छा लेख है, राज ठाकरे को तो मराठी लोग ही सबक सिखायेंगे, लेकिन क्या लालू-पासवान को बिहार के पिछड़ेपन के लिये बिहारी लोग सबक सिखा पायेंगे???

sudo.inttelecual said...

sureshva kya maharashtra backward nahi hai?
mumbai is developed by english people na ki raj thakre ya kisi marathi ke bapne kiya hai
rest ofmaharashtra is as backwardas bihar
the irony of rest states is that they dont have metropolis and indian meropolis is not denelopedy indian and marathis
sivaji to mumbai me nahi rahata tha
wo to nagpur me tha\
and nagpur is not as good as patna sal;e marathi ki aulad suresh

Gyan Darpan said...

राज ठाकरे को तो मराठी लोग ही सबक सिखायेंगे, लेकिन क्या लालू-पासवान को बिहार के पिछड़ेपन के लिये बिहारी लोग सबक सिखा पायेंगे???

सुरेश जी ने सही प्रश्न किया है

आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

Anonymous said...

........e marathi ki aulad suresh

इस कमेन्ट ने ख़ुद बता दिया है की कौन क्या है, आगे कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं रह जाती. राज ठाकरे को तो मराठी लोग ही सबक सिखायेंगे, लेकिन क्या लालू-पासवान को बिहार के पिछड़ेपन के लिये बिहारी लोग सबक सिखा पायेंगे???

Anonymous said...

जय बिहार बोल लो, देश को अपनी तरफ़ से तोड़ने की कोशिश भी कर लो, दूसरे राज्य के लोगों को गालियाँ भी दे लो, हिंसक प्रदर्शन कर लो, पर लालू-पासवान-शाहबुद्दीन से कभी सवाल मत करो की हमारे पिछडेपन का जिम्मेदार कौन? मै भी कल उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को आजाद करने के लिए आन्दोलन करने की सोच रहा हूँ, महाराष्ट्र में राज है ही, करूणानिधि साउथ में लगे ही हुए हैं, उत्तरपूर्वी संगठन, कश्मीरी, खालिस्तानी, नक्सली, माओवादी, और मुसलमान भी अलग देश की मांग कर रहे हैं, उनका भी सपोर्ट अपन को मिलेगा