Friday, 24 October 2008

क्या सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू हो पाएगा मुंबई में ?

सुप्रीम कोर्ट ने छठ पूजा के दौरान मुंबई में लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति दे दी है...अब अगर राज ठाकरे की एमएनएस कोई हुड़दंग करती है तो ये सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन माना जाएगा।
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने जुहु बीच पर लाउडस्पीकर लगाने पर रोक लगाने का फैसला किया था। इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए सु्प्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के जी बालकृष्णन की खंडपीठ ने ये निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के एक एनजीओ सिटीजन्स ग्रुप की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि छठ पूजा में भीड़ को नियंत्रित करने के नाम पर राजनीतिक भाषण दिए जाते हैं। सिटीजन्स ग्रुप ने दलील दी थी कि इसी छूट का लाभ उठाते हुए पिछले वर्ष छठ पूजा के दौरान रात भर सांस्कृतिक कार्यक्रमचलते रहे।
दिलचस्प है कि एमएनएस हमेशा ही मुंबई में छठ पूजा के आयोजन का विरोध करती रही है। यहां देखना ये होगा कि हमेशा ही कानून को अपने हाथ में लेने वाली एमएनएस क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करेगी। इसके पहले भी उसने कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए गुण्डागर्दी की थी। क्या महाराष्ट्र की पुलिस इस बार छठ में उनकी गुण्डागर्दी रोक पाएंगे। क्या इस बार बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश के लोगों को ये अहसास होगा कि मुंबई उनकी भी है। या फिर 'मुंबई मेरे बाप की है' कहने वाले नेताओं के शह पर गुण्डा तत्व सड़कों पर नंगई करेंगे।
ये महाराष्ट्र की उस कांग्रेसी सरकार के लिए भी बड़ा सवाल होगा क्योंकि उसी कांग्रेस पार्टी की सरकार को बिहार और यूपी के लोगों की झंडाबरदारी करने वाले बड़े-बड़े नेता केंद्र में उसका समर्थन करते हैं। यहां उल्लेखनीय ये है कि जब राज ठाकरे ने ये घोषणा की थी कि मुंबई में छठ पूजा नहीं होने दी जाएगी उसी समय बिहार के नेता और केंद्र में रेल मंत्री लालू प्रसाद ने कहा था कि वे खुद मुंबई में छठ पूजा करने जाएंगे।
कहीं बिहार के ये नेता केवल गीदड़भभकी ही देकर न रह जाएं कि राज ठाकरे पर कार्रवाई होनी चाहिए और कार्रवाई के नाम पर केवल राज ठाकरे को गिरफ्तार किया जाए और फिर हल्की धाराएं लगाकर छोड़ दिया जाए। इसलिए बिहार और यूपी के इन नेताओं से निवेदन है कि इस बार छठ पूजा के दौरान वे अपनी और अपने लोगों की अस्मिता की रक्षा करें।

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