आज एक नायक का जन्मदिवस है...एक ऐसे नायक का जन्मदिवस हैं जिसने आम आदमी के लिए अपने जीवन का सबकुछ दांव पर लगा दिया..जिसने आम आदमी के अधिकारों की रक्षा के लिए संपूर्ण क्रांति का अह्वान किया था...
हम ज्यादा पुरानी बात नहीं करेंगे...12 जून 1975...एक कोर्ट एक प्रधानमंत्री का चुनाव गलत तरीकों का इस्तेमाल करने के आरोप में अयोग्य ठहराता है...उसका चुनाव रद्द कर दिया जाता है...चारो तरफ से इस्तीफ़े की मांग उठती है..लेकिन सत्ता में बने रहने के लिए वो प्रधानमंत्री अपने देश में 25 जून की रात को आपतकाल लगा देती है
ऐसे में 73 साल का एक बूढ़ा आदमी आम लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए उठ खड़ा होता है... वो देश में संपूर्ण क्रांति का आह्वान करता है...नौजवानों को एकजुट करने का बीड़ा उठाता है...सत्ता में बने रहने की लालसा में लिप्त लोग उस बूढ़े को क़ैद कर देते हैं...ख़राब तबियत के बाद भी उसे जेल में बंद रखा जाता है...एक शक्तिशाली प्रशासन को एक बूढ़े आदमी से ख़तरा था...क्योंकि वो बुजुर्ग अपनी लिए नहीं देश के करोड़ों लोगों और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहा होता है...ख़ैर ख़राब तबियत के कारण उस बूढ़े आदमी को छोड़ दिया जाता है...समय गुजरता है और आपातकाल खत्म होता है...चुनाव होते हैं और वही बुजुर्ग इस देश में परिवर्तन का प्रतिक बनता है...उसके बताए रास्तों पर चलकर लोग अपने समय की सबसे शक्तिशाली महिला को परास्त कर देते हैं...जनता बता देती है कि आखिर नायक कौन है....आज उसी नायक का जन्मदिन है...इस नायक ने समाज के शोषित,दलित और कमजोर लोगों के लिए सड़क पर संघर्ष किया...
आज एक और नायक का जन्मदिन है...एक ऐसे नायक का जन्मदिन जिसने लोगों को बड़े-बड़े ख्वाब दिखाए...इस नायक ने भी शोषित,दलित और कमजोर लोगों के लिए संघर्ष किया....लेकिन इन लोगों के लिए ये नायक कभी सड़क पर नहीं उतरा...इस नायक ने दबे-कुचले लोगों की आवाज बुलंद की..लेकिन कभी उनके दुख में शामिल नहीं हुआ...ये नायक हमेशा चकाचौंध में रहा...हमेशा लग्जरी गाड़ियों मे घूमा...हमेशा एसी की शीतल हवा उसके बग़ावत के सुरों को ठंडक पहुंचाती रही...हमेशा वो एसी की शितलता के तले बगावत की आग उगलता था...आज भी ये नायक हमारे बीच मौजूद है...आज भी ये नायक समाज के लिए बुढ़ापे की नई परिभाषा पेश करता है...आज भी ये अपने कुनबे के साथ अन फारगेटेबल टूर पे निकलता है तो लोगों की भीड़ जुटती है...खुद नाचता है...परियों समान अपनी बहू को नचाता है...पैसे कमता है...हां रील लाईफ में आम आदमी की आवाज़ उठाना नहीं भूलता....
आज किस नायक को याद करेंगे हम...शायद दूसरे वाले नायक को...क्योंकि वो हमारे बीच मौजूद है...उसपर चर्चा करने के लिए हमे किसी ख़ास रिसर्च की जरूरत नहीं है...पिछले साल का काफी मैटेरियल पड़ा होगा...उसी को उठा लेगें और चला देंगे...आखिर क्यों न धूम-धाम से याद करें हम सदी से अपने इस महानायक को....
लेकिन आज पहले नायक को भी याद किया जाएगा...उसकी विचारधारा को मानने का छलावा करने वाले जनप्रतिनिधि उसके फोटो पर फूल माला चढ़ायेंगे...जो आदमी पूरी उम्र व्यक्तिपूजा के ख़िलाफ़ रहा उसी की पूजा की जायेगी...उनके कदमकुआँ स्थित निवास स्थान पर पहुँचे कुछ सरकारी और ग़ैरसरकारी गणमान्य लोग उसके चित्र पर माल्यार्पण करेंगे.बस एक औपचारिकता निभा दी जायेगी ..लोग यहां आकर शीश नवाने की औपचारिकता में प्रचार सुख पायेंगे...इस नायक ने जिन बुराइयों यानी घूसखोरी, कालाबाज़ारी, मुनाफ़ाखोरी, जमाखोरी, अपराध और शासन के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मुहिम चलाई थी अब उन बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ कोई नहीं उठायेगा....नायक के चेले उसके चित्र या मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे और उसके विचारों को तिलांजलि देने की रस्म अदा करेंगे
अब तय आपको करना है कि आप किस नायक का जन्मदिवस मनायेंगे...
आपको शुभकामनाएं
1 comment:
पहले वाले नायक को नमन है
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा ले तो टिप्पणी देने वालों के लिए आसानी रहेगी
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