Monday, 6 October 2008

क्या मुसलमान होना गुनाह है?

दिल्ली धमाकों से पहले इमाम बुखारी ने अपनी तकरीर में कहा था कि इस मुल्क में मुसलमान होना एक गुनाह बन गया है...मुसलमानों को आंतकवाद से जोड़कर पेश किया जा रहा है...पुलिस और जांच एजेंसियां जानिबदारी से काम ले रही हैं...उस वक्त मुझे लगा की क्या बकवास है..भला मुसलमान होना गुनाह कैसे हो सकता है...कुछ मुसलमान अगर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल पाए भी जाते हैं तो पूरी कौम का इससे क्या लेना देना...और रही पुलिस और जांच एजेंसियों की बात तो वो अपना काम कर रही हैं...शक करने की कौन सी बात है...लेकिन दिल्ली में हुए ब्लास्ट उसके बाद बटला हाउस एनकाउंटर के बाद हालात एक दम से बदले बदले लग रहे हैं...
आज ऐसा लग रहा है जैसे आंतकवाद के नाम पर समाज के एक हिस्से को अलग-थलग कर दिया गया है...मुसलमानों को ये एहसास दिलाया जा रहा है कि वो आंतकवाद से ताल्लुक रखते हैं...दिल्ली ब्लास्ट और बटला हाउस मामले में पुलिस और मीडिया ने अपनी भूमिका को जिम्मेदारी से नहीं निभाया...मुसलमानों को शक की नज़र से देखा जा रहा है...कुछ लोगो सीधे-सीधे शक कर रहे हैं तो कुछ घुमा-फिरा कर कह रहे हैं की
तुम आंतकवादी हो...
मैंने पांच साल जामिया मिल्लिया इस्मालिया में शिक्षा पाई...पेशे से पत्रकार हूं..और दिल्ली से प्रकाशित एक दैनिक समाचार पत्र में काम करता हूं...नाम कुछ में रख लिजिए धर्म में इस्लाम को मानता हूं और सच्चा मुसलान हूं...बटला हाउस के पास ही रहता हूं...एनकाउंटर के बाद पूरे इलाक़े में डर और दहशत का आलम है...पूरे ओखला इलाक़े में हालात कश्मीर से भी गए गुजरे हैं...इस इलाक़े में ज्यादातर आबादी उन लोगों की है जो बाहर से आए हैं..किरायेदार वो हैं जो जामिया में पढ़ने आए हैं...अपनों से दूर दिल्ली में भविष्य बनाने आए इन छात्रों में अजीब सा डर है...हर युवा ये सोचता है कि पता नहीं कब उसे आतंकी घोषित कर दिया जाए...अदालत के फ़ैसले के बग़ैर कब पुलिस उसे दोषी ठहराकर उसका एनकाउंटर कर दे..हर आदमी एक दूसरे को शक की निगाह से देख रहा है...
इन हालात के बीच मुसलमान ये सोचने को मजबूर है कि आखिर क्यों इस मुल्क में उसे शक की निगाह से देखा जा रहा है...आंतकवाद को न तो मुलसमान समर्थन कर रहे हैं न ही वो अपराधियों को सज़ा देने के ख़िलाफ़ हैं..फिर क्यों बार बार उनकी देशभक्ति को शक की निगाह से देखा जा रहा है...आज सोचता हूं की इमाम बुखारी की तकरीर आम मुसलमान की तकरीर बन गई है...क्या वाकई इस देश में मुसलमान होना गुनाह हो गया है...

(ये लेख एक पत्रकार बंधु ने लिखा है...नाम नहीं छापने की शर्त पर...दिल्ली से प्रकाशित एक दैनिक अख़बर में रिपोर्टर हैं)

1 comment:

manoj said...

sachchai bayan ki hai aapne