Saturday 11 October, 2008

लोकनायक पर भारी महानायक

टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज़ की पट्टी कौंधती है..महानायक बीमार...महानायक को अस्पताल में भर्ती कराया गया...मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया...पेट दर्द की शिकायत के बाद अस्तापल में भर्ती कराया गया...ब्रेकिंग न्यूज़ बता रही थी कोई महानायक बीमार था..आज उस महानायक का 66 वां जन्मदिन भी था...उसके बाद क्या...अस्पताल के बाहर रिपोर्ट्स की भीड़ जुट गई...विजुअल्स में गोला बनाकर बताया जाने लगा की अस्पताल की किस मंजील पर किस रूम में महानायक भर्ती है... एक के बाद एक पूरे देश से महानायक की सलामती के लिए दुआओं की ख़बर आने लगी...ऐसा लग रहा था कि जैसे अगर इस महानायक को कुछ हो गया था पूरा देश तबाह और बर्बाद हो जाएगा...न्यूज़ चैनल्स के ज़रिए पूरे देश में माहौल शोकमय हो गया...चैनल्स को देखकर ऐसा लग रहा था कि आज राष्ट्रपिता बीमार हो गए हैं...अगर राष्ट्रपिता नहीं रहे तो क्या होगा हमारे महान देश का..हम सब अनाथ हो जायेंगे...
टीवी से सारी ख़बरे गायब हो गईं...न्यूज़ चैनल्स के पर्दे पर अगर कुछ था तो बस महानायक की महा गाथा...बताया जाने लगा की कैसे समय समय पर इस महानायक ने ऐसी बहुत सारी मुश्किलों का सामना किया है...महानायक के प्रशंसक देश भर में इबादत गाहों में पूजा अर्चना करने लगे..
आज टीवी ये नहीं बता रहा था कि कंधमाल में क्या हुआ...आज किसी को नहीं पता चला की परमाणु करार पर हस्ताक्षर के बाद क्या हुआ...आज किसी ने नहीं बताया की शुक्रवार को जब शेयर बाज़ार गिरकर बंद हुआ उसके बाद बाज़ार को सुधारने के लिए और क्या क्या कवायद हो रही है...आज तो सिर्फ महानायक की बीमारी ही इस देश की सबसे बड़ी ख़बर बन गई.. बाक़ी सारी ख़बरें दब गई..इन ख़बरों के साथ दब गया हमारा अतीत...हम आज ये भूल गए की इस महानायक से साथ ही एक लोकनायक का भी आज जन्म उत्सव था...साल में सिर्फ एक ही दिन तो हम उस लोकनायक को याद करते हैं...सिर्फ आज ही के दिन तो उसके आर्दशों, उसके संघर्ष और उसके सपनों की बात करते हैं..सिर्फ आज ही के दिन तो हम जानते हैं कि कैसे एक बूढ़े आदमी ने इस देश को बदलने के लिए अपने समय की सबसे ताकतवर महीला के ख़िलाफ़ लोकतांत्रिक तरीके से जंग का एलान किया था..कैसे एक 72 साल के आदमी ने लोकतंत्र को ज़िंदा रखने के लिए तानाशाही के ख़िलाफ़ मोर्चा लिया था...हम सब कुछ भूल गए...याद रहा तो सिर्फ महानायक का जन्मदिन और महानायक की बीमारी...
खैर शाम होते होते आखिर पता चल ही गया की महानायक अब स्वस्थ्य हैं और उनकी हालत ख़तरे से बाहर है...महानायक लीला खत्म हुई...पूरे दिन चली इस लीला ने बता किया की हम मानसिक रूप से कितने दिवालीया हो गए हैं...इस लीला ने ये बता दिया की आज का भारत वाकई बदल गया...उसके आर्दश और उद्देश्य बदल गए हैं...अब हम अपने उन नायकों को याद नहीं करते जिन्होंने सड़क पर उतर कर हमारे सुनहरे कल के लिए अपना आज बर्बाद कर दिया...हम तो सिर्फ उन महानायकों को याद करते हैं जिन्होंने फिल्मी पर्दे पर हमें सुनहरे सपने दिखाए और इसके एवज में वसूले गए पैसे से अपना आज सुनहरा बनाया...

2 comments:

वेद रत्न शुक्ल said...

बहुत खूब मित्र। वाकई पीड़ादायक स्थिति है।

रंजन राजन said...

बहुत खूब....
...अब हम अपने उन नायकों को याद नहीं करते जिन्होंने सड़क पर उतर कर हमारे सुनहरे कल के लिए अपना आज बर्बाद कर दिया...हम तो सिर्फ उन महानायकों को याद करते हैं जिन्होंने फिल्मी पर्दे पर हमें सुनहरे सपने दिखाए और इसके एवज में वसूले गए पैसे से अपना आज सुनहरा बनाया...