Wednesday, 8 October 2008

अब अब नहीं चलेगा चुनावी भविष्यवाणी का खेल.....

भारत सरकार ने चुनाव ख़त्म होने से पहले एक्ज़िट पोल के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगाने का फ़ैसला किया है ताकि इससे मतदाता प्रभावित न हों.....केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस फ़ैसले को मंज़ूरी दी...इसके लिए अब जनप्रतिनिधित्व क़ानून, 1951 में संशोधन किया जाएगा. संशोधन के लिए सरकार संसद में एक विधेयक लाएगी.
दो साल पहले चुनाव आयोग ने निष्पक्ष चुनाव का हवाला देते हुए चुनाव का अंतिम चरण पूरा होने से पहले एक्ज़िट पोल के नतीजों का प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगा दी थी.....लेकिन मीडिया कंपनियों की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश को ख़ारिज कर दिया था.


मतदाता प्रभावित न हो
लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव आमतौर पर कई चरणों में होते हैं.....अब तक मीडिया हर चरण में मतदान करके निकलने वाले मतदाताओं की राय के आधार पर चुनावी रुझानों का संकेत देते रहे हैं.....चुनाव ख़त्म होने से पहले एक्ज़िट पोल के नतीजों के प्रकाशन-प्रसारण पर रोक से मतदाताओं को यह अवसर मिलेगा कि वे चुनावी रूझानों से बिना प्रभावित हुए अपने मत का प्रयोग करें....सरकार का कहना है कि बीच चुनाव में एक्जिट पोल के प्रसारित होने से मतदाताओं पर इसका असर पड़ता है...मतदाता बग़ैर किसी मत से प्रभावित हुए मतदान करे इसके लिए एग्जिट पोल पर रोक लगाना जरूरी है...


कैसे होता है एग्जिट पोल
भारत में एग्जिट पोल करने वाली कंपनियां बताती है कि उनका तरीका वैज्ञानिक होता है...ये कंपनिया मतदान के समय चुनाव क्षेत्रों में अपने लोगों को भेजती हैं...ये लोग मतदान केंद्र के बाहर खड़े रहते हैं और जब मतदाता वोट डालकर बाहर आता है तो उससे एक प्राक्सी बैलेट पेपर पर वोटिंग करवाई जाती है...इस वोटिंग के परिणामों के आधार पर हीं बाकी परिणामों की भविष्यवाणी की जाती है...


क्या है कमियां
बेशक एग्जिट पोल करने वाली कंपनियां कहें की वो पोल के लिए साफ सुथरा तरीका अपनाती हैं लेकिन जहां मतदाताओं की संख्या करोड़ों में है वहां कुछ हज़ार वोटरों की राय जानने के बाद कैसे सभी परिमाणों की भविष्यवाणी की जा सकती है...दूसरी बात ये भी है कि भारत जैसे देश में जहां अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग फैक्टर काम करते हैं वहां कैसे एक या कुछ चुनिंदा निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ चुनिंदा मतदाताओं की राय के आधार पर सभी इलाक़ों के चुनाव परिणामों की भविष्यवाणी जा सकती है....भाषा, जाति और भौगोलिक स्थिति में अनगिनत विभिन्नताएं रखने वाले देश में, जहां मतदाताओं की संख्या करोड़ों में हो, एक्जिट-पोल करना आसान नहीं.सारे मतदाताओं का सर्वे करना नामुमकिन हैऔर अगर किया जाय तो यह और भी महंगा हो जाएगा.


एक्जिट पोल - एक बानगी
सन २००४ में जब लोकसभा चुनाव में पहले चरण का मतदान हुआ तो सभी न्यूज़ चैनल्स और समाचार पत्रों ने एग्जिट पोल चलाए...क्या कहते थे ये एग्जिट पोल हम आपको बताते हैं...
तेरह राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों की कुल 140 लोकसभा सीटों के लिए हुए पहले दौर के मतदान के बाद कई सर्वेक्षण हुए...मतदान के बाद एक्ज़िट पोल का सार-संक्षेप यह था कि एनडीए को 80 से 90 और कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को 45 से 55 तक सीटें मिल सकती हैं.
स्टार, एनडीटीवी, ज़ी, आजतक और सहारा जैसे प्रमुख टीवी चैनलों के इन सर्वेक्षणों में हालांकि कई मामलों में काफ़ी विरोधाभास थे लेकिन इतना तय था कि एनडीए गठबंधन कांग्रेस से काफ़ी आगे है.


उस समय के राज्यवर अनुमान
महाराष्ट्र में कुल 48 में से 24 सीटों के लिए मतदान हुआ, आजतक चैनल के सर्वेक्षण का कहना था कि यहाँ कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को 12 और भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को 11 सीटें मिलेंगी.
जबकि सहारा टीवी ने भाजपा वाले गठबंधन को 10 और कांग्रेस वाले गठबंधन को 13 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की.
लेकिन इसी राज्य के बारे में ज़ी टीवी का कहना था कि यहाँ भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 10 से 12 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस वाले गठबंधन को 6-8 सीटें मिलेंगे.
गुजरात में जहाँ सभी 26 सीटों के लिए मतदान, आजतक चैनल का कहना था कि भाजपा वहाँ 23 तक सीटें जीत सकती है जबकि ज़ी न्यूज़ का मानना था कि वहाँ भाजपा को 18 से 20 तक सीटें मिलेंगी.
गुजरात की ही तरह, छत्तीसगढ़ में भी सभी 11 सीटों के लिए मतदान हुआ.स्टार टीवी के सर्वेक्षण का कहना था कि यहाँ भाजपा को 10 और कांग्रेस को एक सीट मिलेगी, जबकि सहारा टीवी ने कहा है कि भाजपा को सात और कांग्रेस को चार सीटें मिल सकती हैं.
बिहार की 40 में से 11 सीटों के बारे में आजतक का कहना था कि एनडीए गठबंधन को नौ सीटें मिल सकती हैं जबकि कांग्रेस वाले गठबंधन को दो सीटें, लेकिन सहारा का कहना था कि ये सीटें क्रमशः सात और चार हो सकती हैं.
झारखंड की ग्यारह सीटों में से छह के लिए मतदान हुआ. स्टार के मुताबिक़ दोनों गठबंधनों को तीन-तीन सीटें मिलेंगी, जबकि आजतक ने चार सीटों के साथ भाजपा वाले गठबंधन की बात कही.
आजतक के मुताबिक़ आंध्र प्रदेश में कांग्रेस का पलड़ा भारी दिख रहा था और उसे 21 में से 13 सीटें मिल सकती थी जबकि भाजपा-तेलुगू देशम को आठ, स्टार टीवी का आकलन भी यही था
असम की छह सीटों के लिए हुए मतदान के बारे में आजतक का मानना था कि भाजपा को चार और कांग्रेस को दो सीटें मिल सकती हैं, जबकि ज़ी टीवी ने भाजपा को यहाँ सिर्फ़ एक सीट मिलने की भविष्यवाणी की .
कर्नाटक के बारे में स्टार टीवी का कहना था कि 15 सीटों के लिए हुए मतदान में भाजपा का पलड़ा भारी है, उसे 10 और कांग्रेस को चार सीटें मिल सकती हैं लेकिन ज़ी टीवी ने यहाँ भाजपा को अधिकतम पाँच सीटें मिलने की भविष्यवाणी की.
सवाल ये हैं कि इन सभी पोल्स के जिनके बारे में दावा किया जाता है कि वे वैज्ञानिक तरीके से करवाए जाते हैं, उनके अनुमान एक दूसरे से पूरी तरह से भिन्न होते हैं.
लेकिन जब चुनाव परिणाम सामने आए तो हक़ीकत कुछ अलग थी...एग्जिट पोल बता रहे थे कि केंद्र में बीजेपी की सरकार बन रही थी लेकिन जब वोटों की गिनती हुई तो इन दावों की कलई खुल गई....


एग्जिट पोल से किसको है फायदा
टीवी चैनलों, समाचार पत्रों और पत्रिका प्रकाशित करने वाले वह समूह जो ज़ाहिर है कि इस एक्ज़िट पोल पर रोक नहीं चाहते, उनके लिए इन एक्ज़िट पोल मतलब बढ़ी हुई बिक्री और विज्ञापनों के माध्यम से ज्यादा पैसे बनाने का ज़रिया है.सर्वेक्षण कर रही हैं बड़ी-बड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग रिसर्ज एजेंसियाँ, जो सर्वे करने के नाम पर करोड़ों उगाह रही हैं उन्हें वोटरों की बौखलाहट से कोई लेना-देना नहीं है.

अब सरकार इन एग्जिट पोल्स पर रोक लगा रही है...जाहिर है चुनाव के मौसम में परिणामों की भविष्य वाणी कर दर्शकों को गुमराह करनेवाले चैनलों का कारोबार अब मंदा पड़ा जाएगा...दिसंबर में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं...हिंदी बेल्ट के इन चार राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और दिल्ली में होनवाले चुनाव अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सेमिफाइनल जैसा है...लेकिन अब एग्जिट पोल पर रोक से चुनावी चैनलों का कारोबार बंद होगा...उन लोगों को कारोबार भी बंद होगा जो सर्वेक्षण के नाम पर करोड़ो की उगाही करते थे और एसी कमरे में कंप्यूटर पर बैठक चुनाव परिणामों की भविष्यवाणी करते थेनहीं चलेगा चुनावी भविष्यवाणी का खेल.....

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