और ड्रामा खत्म हुआ...गुरुवार देर रात जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल सामने आए...निकाले गए सभी कर्मचारियों को वापस लेने का एलान किया...कहां मुझे नहीं मालूम था...मैनेजरों ने अपने स्तर पर सब कुछ किया...मां की कसम खाई..बेटी का हवाला दिया...और कहा सब को वापस लेता हूं...सभी मेरे बच्चे जैसे हैं...कहा कि मैं अपने लोगों का दर्द समझता हूं...मैं भी जवानी में इस दौर से गुजर चुका हूं...जेट एयरवेज़ ने बुधवार को जिन लोगों को नौकरी से निकाला था उनमें से ज़्यादातर कैबिन कर्मचारी हैं. वे प्रशिक्षु के रूप में काम कर रहे थे...
सवाल ये है आखिर किन परिस्थियों में जेट ने अपने कर्मचारियों को वापस लेने का फ़ैसला किया...सबको मालूम हैं कि एविएशन इंडस्ट्री बुरे हालात से गुजर रही है...इंडस्ट्री में छंटनी और कॉस्टकटिंग की नौबत आ गई और इसमें इसकी छाया सरकारी कंपनी एयर इंडिया में भी दिखने लगा...गुरुवार शाम को ही एयर इंडिया ने कहा कि वह अपने करीब 15,000 कर्मचारियों को 3 से 5 साल के लिए अनपेड लीव पर भेजने की योजना बना रही है...
तो फिर रात होते-होते ऐसा क्या हुआ कि जेट ने अपने सभी कर्मचारियों को वापस ले लिया...कहां शाम तक एक दूसरी कंपनी पंद्रह हज़ार लोगों को छुट्टी पर भेजने की बात कह रही थी और कहां कुछ ही घंटों में सब कुछ ठीक-ठाक हो गया..
अब दूसरे सीन पर बात करते हैं...शुक्रवार से संसद के मानसून सत्र का दूसरा भाग शुरू हो रहा था...तय था की लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे इश आखिरी बैठक में विपक्ष परमाणु करार, आंतकवाद और महंगाई के अलावा अब नौकरी पर आ रहे संकट के मामले को भी जोर शोर से उठायेगा.संसद में मामला उठता तो पूरा देश सुनता...निजी क्षेत्र में काम कर रहे हर आदमी को लग रहा था कि कहीं छंटनी का अगल नंबर उसी का तो नहीं है...ज़ाहिर है सबके मन में डर बैठ गया था...सरकार के लिए ये डर भारी पड़ सकता था...मंदी के इस दौर में जेट से शुरू हुआ छंटनी का दौर आगे भी जा सकता था...चुनाव सर पर हैं और सरकार को ये बहुत भारी पड़ता...लिहाजा सत्ता में बैठे लोगों को कुछ तो करना ही था...
तो जेट के कर्मचारियों को, एयर इंडिया के कर्मचारियों को और प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे दूसरे सभी कर्मचारियों को चुनावी साल में केंद्र सरकार का ये राजनीतिक बेलआउट है....बुश ने अमेरिका में डूबते बैंकों को बचाने के लिए बेलआउट पैकेज दिया तो हमारे देश में मनमोहन सरकार ने चुनावी साल में अपनी सरकार बचाने के लिए लोगों को राजनीतिक बेलआउट पैकेज दिया..
फौरी तौर पर इस बेलआउट का फायदा बेशक जेट के निकाले गए कर्मचारियों को मिलता दिख रहा हो लेकिन भविष्य में उन लोगों को भी इसका फायदा मिल सकता है जिन्हें कंपनियां निकालने की सोच रही थी...क्योंकि जेट के कदम वापस लेने के बाद उद्योग जगत में ये संदेश साफ गया है कि हाल-फिलहाल बड़ी तादाद में लोगों को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता...और इस राजनीतिक बेलआउट का सबसे बड़ा फायदा जाहिर तौर पर नेताओं को मिलेगा...क्योंकि उन्होंने न सिर्फ कुछ लोगों की नौकरियां बचाईं हैं बल्कि अपने लिए वोटों की फसल भी तो तैयार की है...सो जय हो इस राजनीतिक बेलआउट की कम से कम इस बहाने कुछ लोगों का भला तो हो गया...काश सरकार ऐसा ही बेलआउट पैकेज विदर्भ के किसानों के लिए भी ले आती...काश वहां के गरीब भी अपनी जान बचा पाते..
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2 comments:
"काश सरकार ऐसा ही बेलआउट पैकेज विदर्भ के किसानों के लिए भी ले आती...काश वहां के गरीब भी अपनी जान बचा पाते"
kya kahna chahte hai, jet ne sahi kiya tha?
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