Wednesday, 15 October 2008

आज भी ज़िंदा है सामंतवाद

क्या हमारे देश में आज भी सामंतवाद ज़िंदा है...शहरों में बेशक नहीं हो लेकिन गांवों में कहीं न कहीं जरूर दिख जाता है...अगर आपको भरोसा न हो तो आप जिस शहर में रहते हैं उससे पांच सौ किलोमिटर दूर किसी गांव में जाकर देखिए..

मैं आज एक ऐसे युवक की सच्ची घटना बयान करने जा रहा हूं..वो युवक दलित था....नवरात्र के गरबा के दौरान छेड़छाड़ की मामूली घटना का दबंगों ने इस क़दर बुरा माना की उसकी जान ले ली...उस दलित युवक की जान गोली मारकर या सर काटकर नहीं ली गई...उसे ज़िंदा जला दिया गया.....जी हां एक छेड़छाड़ की एक घटना में एक युवक को ज़िंदा जला दिया गया...
आपको भरोसा नहीं हो रहा होगा...आपने शायद ये ख़बर किसी चैनल पर नहीं देखी...देखते भी कैसे...चैनल तो दिन भर ये दिखाते रहे कि शेयर बाज़ार आज कितना गिरा...आज जेट एयरवेज ने अपने कितने कर्मचारियों को निकाला... टीआरपी सेंटर्स की इन ख़बरों से कहां निकले हमारे चैनल जो वो रुख करते मध्यप्रदेश के देवास का... जी हां जिस घटना का जिक्र मैं कर रहा था वो मध्यप्रदेश के देवास के करनावत गांव की है...यहां दबंगों ने इस दलित युवक को ज़िंदा जला दिया....एक युवक की जान लेने के बाद भी जब भी जब इन लोगों को चैन नहीं आया तो दबंगों ने एक-एक करके दलितों के दर्जन भर घरों को आग लगा दी...बात इतने पर भी नहीं थमी....गुस्सा इतने पर भी नहीं उतरा...दलितों की जो भी संपत्ति दबंगों के हाथ आई उसे आग के हवाले कर दिया गया..घटना की वजह नवरात्र के दौरान होनेवाला गरबा है....गरबे के दौरान किसी दलित ने स्वर्ण समाज की किसी लड़की को छेड़ दिया....इसी घटना का बदला लेने के लिए स्वर्णों ने दलित समाज के एक युवक को ज़िंदा जला दिया.... 
अब बात पुलिस प्रशासन की...दलितों को पहले से ही अंदेशा हो गया था कि कुछ गड़बड़ हो सकती है...उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस से गुहार लगाई...लेकिन हमेशा की तरह पुलिस का रवैया टरकाने वाला रहा....नतीजा अब सबके सामने है... घटना से बाद पुलिस ने जरूर अपनी भूमिका को मस्तैदी से निभाने की कोशिश की...किसी को इस विभत्स घटना की ख़बर न हो इस बात पर पुलिस की कड़ी नज़र थी...मीडिया को ख़बर कवर करने से रोका गया....लेकिन नेशनल तो नहीं रिजनल मीडिया ने ख़बर को कवर किया और प्रमुखता से दिखाया.... 
अब फिर वही सवाल की या सामंतवाद अब भी ज़िंदा है...शायद हैं...एक सवाल और की क्या जेट के कर्मचारियों का निकाला जाना....शेयर बाज़ार का गिरना, या एक दलित को ज़िंदा जला देना आखिर मानवता से जुड़ी बड़ी ख़बर कौन है.....

2 comments:

फ़िरदौस ख़ान said...

बेहद शर्मनाक...हरियाणा में तो दलित दूल्हे को आपने विवाह में घोड़ी पर बैठने तक का हक़ नहीं...ऐसा करने पर उसे जान से मार दिया जाता है...ऐसी कई वारदातें अख़बारों की सुर्खियां बनती रहती हैं...

दिनेशराय द्विवेदी said...

सामंतवाद को समाप्त करने की जिम्मेदारी पूंजीवाद की थी। लेकिन भारत में पूँजीवाद के शैशव काल में ही संकट इतना गहरा गया कि उसे यह लड़ाई अधूरी छोड़ कर सामंतवाद से उसे जीवित बनाए रखने का समझौता करना पड़ा। सामंतवाद को अब पूंजीवाद कभी नहीं मारेगा। वह या तो खुद अपनी मौत मरेगा या शोषित जन ही उसे समाप्त करेंगे।