Friday, 24 October 2008

खून का प्यासा बैंक....

कल मेरे एक मित्र का फोन आया वो मुझसे किराए पर मकान दिलाने की मिन्नत कर रहे थे। ये सुनकर मुझे
ताज्जुब हुआ...क्यों कि महाशय का तो खुद का मकान है..तो ऐसी क्या वजह हो गई कि उन्हे अब किराए का
मकान चाहिए...लेकिन जब मैने उनकी मजबूरी सुनी तो मुझे भी लगा उनका अपना मकान बेचने का इरादा ग़लत नहीं है।
दरअसल मेरे मित्र होम लोन की EMI को लेकर काफी परेशान हैं। उन्हे अपने होम लोन की EMI और अपनी दाढ़ी में कोई फर्क दिखाई नहीं दे रहा है। उनकी दोनों ही चीजें समय के साथ-साथ बढ़ रही है। उन्होने वर्ष 2005 में आईसीआईसीआई बैंक से 7. फीसदी के ब्याज दर पर होम लोन लिया था। अब वही ब्याज दर बढ़कर 13 फीसदी का आंकड़ा पार कर गया है। उस वक्त उन्होने बस एक छोटी सी गलती कर दी थी कि उन्होने ये लोन
फ्लोटिंग रेट पर ले लिया था। उसी ग़लती ने उन्हे अब अपना मकान बेचने पर मजबूर कर दिया है।
उन्होने जब बैंक के अधिकारियों से बात की तो उन्होने सारा दोष रिजर्व बैंक के मत्थे मढ़ दिया। पिछले दिनों ये देखने में भी आया कि रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया महीने में दो-दो, तीन-तीन बार सीआरआर और रेपो रेट में इज़ाफ़ा कर रहा था। पता नहीं आईसीआईसीआई बैंक और रिजर्व बैंक के बीच सूचना संचार का ऐसा कौन सा तंत्र काम कर रहा था कि रिजर्व बैंक के सारे फैसलों की जानकारी आईसीआईसीआई बैंक को पलक झपकते ही पता चल जाती थी...और फिर वो उसके मुताबिक यथाशीघ्र ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की घोषणा कर देता था...लेकिन अब जबकि रिजर्व बैंक लगातार रेपो रेट और सीआरआर में कटौती कर रहा है तो ICICI बैंक का वही सूचना संचार तंत्र ठप्प हो गया है। रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ ही दिनो में रेपो रेट में एक फीसदी की कटौती की है। जिसकी वजह से आरबीआई से बैंको को मिलने वाले कर्ज की दर फीसदी से घटकर 8 फीसदी हो गई। आपको बता दें कि २००४ के बाद पहली बार रेपो रेट घटाई गई है। इससे पहले रबी ने CRR में भी 2. फीसदी की कमी की थी... और ये घटकर 6।5 फीसदी हो गया है...।
जानकारों के मुताबिक केंद्रीय बैंक के इस कदम से ब्याज दरों में भी कमी होनी चाहिए...ऐसा हुआ भी कई निजी और सरकारी बैंकों ने ब्याज दरों में कटौती की लेकिन ये कटौती पिछले दिनों की गई बढ़ोत्तरी की तुलना में काफी कम थी। इस बात से ये तो पता चला कि आरबीआई के इस कदम का बैंकों ने अनुसरण किया॥पर आईसीआईसीआई बैंक को तो जैसे अपनी डफली अपना राग अलापने की आदत हो गई है...इस बैंक ने ब्याज दरों में कटौती तो नहीं की अलबत्ता उसे बढ़ा जरूर दिया...वो भी चोरों की तरह दबे पांव।
पिछले दिनों इस बैंक के दिवालिया होने की ख़बर जोर शोर से उठी थी लेकिन ये ख़बर बाद में अफवाह साबित हुई...अब इस बैंक के ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी करने के फैसले ने ये साबित कर दिया कि॥ हो सकता है कि उनके खजाने में बेशुमार दौलत पड़ी हो पर इस बैंक के नीति निर्धारक अधिकारी मानसिक तौर पर दिवालिया जरूर हो गए हैं। अब तो मेरे वो मित्र भी बेसब्री से उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब उनके लिए जोंक बन चुका ये बैंक हक़ीक़त में दिवालिया हो जाए।

3 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

बहुत सुंदर लिखा है. दीपावली की शुभ कामनाएं.

Anonymous said...

हुत सही लिखा है भाई हमने भी ये छोटीसी गलती कर दी थी और अब बैंक का बड़ा हुवा ब्याज भुगत रहे है |
दीपावली की शुभ कामनाएं.

Anonymous said...

Kya khub kahi hai! dost galti kare aur bhare bhi nahi, aur bank divaliya ho jaye , janta ka paisa doob jaye, sab chalega.