इसे देसी भाषा में बरजोरी कहते हैं....कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा जो कह रहे हैं उसे और कुछ नहीं कहा जा सकता...भगवा बिग्रेड के सिपाही येदुरप्पा फरमाते हैं की कर्नाटक में फसाद की जड़ ईसाई संस्थाएं हीं हैं...उनकी माने तो अरसे से राज्य में हिंदू और ईसाई लोग मिलजुल कर रहते आएं हैं...लेकिन हाल फ़िलहाल कर्नटाक में जो हंगामा हुआ है उसके पीछे उन्ही उपद्रवी ईसाईयों का हाथ हैं...
महान येदुरप्पा जो तर्क देते हैं वो और भी काबीले गौर हैं...कर्नाटक के मुख्यमंत्री की माने तो ईसाई संगठन जबरन लोगों को धर्म परिवर्तन करा रहे हैं...यही नहीं ये संगठन हिंदू देवी देवताओं के बारे में आपत्तिजनक पुस्तिकाएं प्रकाशित कर रहे हैं...और कुल मिलाकर ये की इन ईसाई संगठनों के कुर्कमों को फल है कि कर्नाटक में इन पर हमला हो रहा है...
अब कोई येदुरप्पा से पूछे की आज तक उन्होंने कितने ईसाई संगठनों को राज्य में धर्म परिवर्तन कराते हुए पकड़ा है..कितने ईसाई धर्म प्रचारकों को कर्नाटक में गिरफ़्तार किया गया है...लोगों का धर्म परिवर्तन कराते हुए...येदुरप्पा मीडिया को बताएं की आखिर वो कौन सी संस्थाएं हैं जो हिंदू देवी देवताओं के संबंध में आपत्तिजनक पुस्तिकाएं प्रकाशित कर रही हैं...
आखिर क्या येदुरप्पा की जिम्मेदारी अल्पसंख्यक संगठनों पर आरोप लगा कर खत्म हो जाती है...कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं वो...राज्य की पूरी प्रशासनिक मशिनरी उनके पास हैं...क्यों नहीं दोषियों पर कार्रवाई होती है...ज्योतिष में भरोसा करनेवाले कर्नाटक के महान मुख्यमंत्री बतायेंगे की आखिर कब तक उनके राज्य में हिंसा फैलाने वालों को सज़ा मिल पायेगी...क्यों नहीं अपने उसी ज्योतिषि से पूछते हैं जिसने उन्हें नाम बदलने और उनके आदरणिय नेता के लाल कृष्ण आडवाणी के प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी की थी...क्या अब अटल बिहारी वाजपेयी को दोबारा नरेंद्र मोदी की तरह येदुरप्पा को भी राजधर्म समझाना होगा....
6 comments:
सही है, कुतर्क को सलाम.
तुम्हे तो सच कुतर्क ही नज़र आयेगा, अगर मुख्यामंत्री ने यह कहा होता की भारत के सारे हिंदू दुनिया के सारे ईसाई और मुस्लिमों को हिंदू बनाने की योजना में बस सफल होने ही वाले हैं, और भारत के सारे हिंदू इस षड़यंत्र के लिए जी भर कर रूपए पैसे भेज रहे हैं, तो बात तर्कपूर्ण लगती!
ईसाई मिशनरी हमेशा स्थानीय दलितों और आदिवासियों की ही "सेवा" क्यों करती है? इस देश में मुसलमानों में भी गरीबी है, मुस्लिम इलाकों में गरीबी के बावजूद वहां इनकी रहस्यमय अनुपस्थिति है. अगर सेवा ही करनी है तो अफ्रीका के सूडान, अंगोला, बांग्लादेश, इथियोपिया जैसे मुस्लिम देशों में मिशन के फंड क्यों नहीं भेजते? उन्हें भारतीय लोगों से ज़्यादा मदद की ज़रूरत है, पर तुम मुस्लिम देशों में "सेवा" क्यों करोगे, कर के देख लो और बम के लड्डू खाओ. हिंदू शांत रहता है, उसके धर्म की निशाना बनाना सरल है. पर अब इन भेड़ियों का काम दिन ब दिन कठिन होता जाएगा, हिंदू अब प्रतिक्रिया पर उतर आया है.
सलाम सनराइज भाई, आपकी लेखनी को सलाम
सबसे बड़ा कुतर्की तो आप खुद हो, आपको सलाम तो सलाम करना ही चाहिये
अब दम हो तो ऐब-इन्कान्वेनिएन्टी के सवाल का जवाब दीजिये|
धर्म के नाम पर अपनी राजनिती का खैल रहे है ये नेता।
सबसे बड़ा कुतर्की छपास को सलाम.
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