Monday, 3 November 2008

हां..मैंने राज ठाकरे को छूट दी...

जैसे-जैसे प्रधानमंत्री पर राज ठाकरे के मामले में दबाव बढ़ता जा रहा है...इस मामले से ताल्लुकात रखने वाले लोग अपने रक्षा कवच का जुगाड़ करने में जुट गए हैं। पिछले दिनों रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस्तीफे की धमकी देकर केन्द्र सरकार पर शिंकजा कस दिया॥ये अलगबात है ये आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए उनकी मजबूरी
है। बिहार और उत्तर प्रदेश का हर छोटा बड़ा नेता इस मामले को भुनाने में लगा हुआ है...चाहे वो बिहार का एक निर्दलीय विधायक हो जो अपने समर्थकों के साथ मुंबई में छठ मनाना चाह रहा है या फिर उत्तर प्रदेश का अबु ज़मी जो राज ठाकरे और उनके कार्यकर्ताओं को ललकार कर मुंबई में उत्तर भारतीयों को उनके हाल पर छोड़ देते हैं।
राज ठाकरे ने मुंबई में ऐसी भट्ठी सुलगाई है जिसपर उनके अलावा उत्तर भारत के भी नेता लोग अपनी-अपनीरोटियां सेंक रहे हैं। आखिर क्यों ना हों अगर बिना मेहनत किए मुफ्त में किसी को सुलगती हुई भट्टी मिल जाए तो कोई भी आदमी उस पर अपनी रोटियां सेंकना चाहेगा।
खैर जिन्लोंगो पर इस भट्ठी को बुझाने की जिम्मेदारी थी वो भी इस जुगाड़ में ही लगे रहे कि उसपर अगर उनकी भी दो चार रोटियां सिंक जाए तो क्या बुरा है...यहां मैं बात कर रहा हूं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की। इनके नाम में देश का जिक्र जरूर है लेकिन ये अपने विलास में इतने डूबे हुए हैं कि इन्हे देश की फिक्र ही नहीं है। के खबरिया चैनल को दिए गए इंटरव्यू में भी उन्होने माना कि फरवरी में जब राज ठाकरे का उन्माद शुरूआती दौर में था तो उन्होने ढ़िलाई बरती। मुख्यमंत्री ने बिना हिचक के ये कबूल कर लिया कि जिस वक्त सड़कों पर उत्तरभारतीयों को पीटा जा रहा था तो वो इसे सख्ती से रोकने के बजाए उसके नतीजों का विश्लेषण कर रहे थे। अब जब केन्द्र सरकार ने कड़ा रूख अपना लिया है तो ऐसे में वो भी राज ठाकरे को सबक सिखाने का मन बना रहे हैं। उनके लिए राज ठाकरे के अब तक के गुनाह उसे सज़ा दिलाने के लिए काफी नहीं हैं...देशमुख का कहना है कि अगर अब राज ठाकरे ने कोई हरकत की तो उन्हे ऐसी धाराओं के तहत गिरफ़्तार किया जाएगा जिसके तहत ज़मानत मिलना मुश्किल होगा।
तो मिस्टर सीएम अब आप फिर किसी उत्तर भारतीय की हत्या का इंतजार कर रहे हैं ताकि आप इस हत्या के आरोप मे राज ठाकरे पर कार्रवाई कर अपनी पुरानी छवि को साफ कर सकें। विलासराव ने उत्तर भारतीय नेताओं...ख़ास करके लालू प्रसाद यादव और अमर सिंह पर भी मामले का राजनीतिकरण करने का रोप लगाया...शायद वो ये कहते वक्त अपने गिरेबान में झांकना भूल गए होंगे।

2 comments:

P.N. Subramanian said...

रोम जलता रहा नीरो वायलिन बजता रहा. यही हाल अपने यहाँ भी है. उत्तर भारतीय मरता रहे और राजनेता रोटी सएकते रहें.
http://mallar.wordpress.com

Unknown said...

जब सीएम ने मान लिया कि उन्होंने छूट दी तो उनके ख़िलाफ़ कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है? कितनी राष्ट्रीय संपत्ति नष्ट हुई, कितने लोगों कि जान चली गई, इन सब के लिए सीएम को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और सजा देनी चाहिए.