Thursday, 6 November 2008

साध्वी के आड़ में साजिश...?

मालेगांव ब्लास्ट मामले में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती जा रही है..इसकी गुत्थियां और भी उलझती जा रही है...आरोपित साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर तरह-तरह से जुर्म कबूलने का दबाव डाला जा रहा है। हर दूसरे दिन उसे एक नई तकनीकी जांच के लिए तैयार किया जाता है। अब तो साध्वी के बेगुनाह होने की आवाज भी उठने लगी है।
जाहिर सी बात है कि अभी तक महाराष्ट्र के आतंकवादी निरोधक दस्ते के हाथ ऐसा कोई पुख्ता सबूत हाथ नहीं लगा है जिसके आधार पर वो साध्वी को दोषी ठहरा सके...इस बीच साध्वी ने ये मान लिया है कि उसने अपने मोटरसाईकिल बम धमाके के एक आरोपित को दिया था...पर उसने ये भी कहा कि उसे मोटरसाईकिल के इस्तेमाल के बारे में पता नहीं था। अगर साध्वी की बातों में सच्चाई है तो क्या अपने किसी परिचित को अपनी
मोटरसाईकिल देना इतना बड़ा अपराध है ?
उधर इन सब ख़बरों के बीच भारतीय जनशक्ति पार्टी तो पहले से ही प्रज्ञा को अपना तुरूप का पत्ता बनाने में जुटी हुई है...हो सकता है कि उनका ये मानना है कि अगर एक साध्वी मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनवा सकती है तो दूसरी साध्वी बीजेएसपी की सरकार क्यों नहीं बनवा सकती...अगर सरकार नहीं बनवा सकती है तो कम से कम पार्टी को ऐसी स्थिति में ही पहुंचा सके कि सरकार बनाने में उसकी पार्टी की अहम भूमिका हो। बीजेएसपी की योजना का पता लगते ही बीजेपी ने भी अपने एक सिपहसलार कैलाश विजवर्गीय को प्रज्ञा सिंह ठाकुर के पीछे लगा दिया है। विजयवर्गीय ने डंके की चोट पर ये कह दिया है कि प्रज्ञा सिंह के ख़िलाफ़ महाराष्ट्र एटीएस के पास कोई सबूत नहीं है और ये सब कांग्रेस के इशारे पर किया जा रहा है ताकि चुनाव तक प्रज्ञा को राजनीति से दुर रखा जा सके।
खैर ये तो रही बात राजनीति की....लेकिन जिस तरह से लेफ्टिनेंट कर्नल पी एस पुरोहित जैसे बड़े सेना अधिकारी को इस मामले में गिरफ़्तार किया जा रहा है उससे ये भी जाहिर होने लगा है कि नफरत की आग सेना में भी फैलने लगी है। हमेशा से ही सेना के अनुशासन और उसकी छवि की सराहना की जाती रही है...पर मालेगांव धमाके जैसे मामलों ने उस छवि को धूमिल कर दिया है...साथ ही लोगों को ये सोचने पर भी मजबूर कर दिया है कि क्या अब सेना ऐसे लोगों के हाथों में जिनकी मानसिकता किसी आम कट्टरवादी उपद्रवियों जैसी है या फिर कहीं इस मामले में भी सेना के अधिकारी किसी साजिश के शिकार तो नहीं हो रहे हैं ? दोनों ही हालातों में मामला काफी संगीन और संवेदनशील हो गया है

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