Wednesday 2 September, 2009

समुद्र में फैल रहा है ज़हर

आज हम बात करेंगे समुद्र में फैल रहे ज़हर की...वैज्ञानिकों में इसको लेकर काफी चिंता है...क्योंकि ये घटना करोड़ों साल बाद हो रही है...इससे पहले पूरे समुद्र में ज़हर फैलने की घटना डायनासोर के विलुप्त होने के दौरान घटी थी। अगर इसे नहीं रोका गया तो समुद्री जीवों के जीवन पर संकट खड़ा हो जाएगा। अगर ऐसा होता है तो इसका असर मानव जाति पर देखने को मिल सकता है...वैज्ञानिकों के एक ताज़ा शोध के मुताबिक समुद्र का पानी अब धीरे-धीरे एसीडिक होता जा रहा है। इसके पानी का पीएच क़रीब 25 फीसदी नीचे चला गया है। यहां आपको बता दें कि पीएच स्केल वो यंत्र है जिससे किसी के एसीडिक या बेसिक होने का पता चलता है। समुद्र के पानी का पीएच 8 से ऊपर होता है लेकिन ये अब इससे नीचे आ गया है। वैज्ञानिकों की माने तो ये स्थिति करोड़ों साल बाद निर्मित हुई है....समुद्र के पानी की ये स्थिति उस वक्त थी जब धरती पर डायनासोर का राज हुआ करता था। अब समुद्र में इसका असर भी दिखने लगा है। समुद्र के कुछ जीवों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और अगर ये सिलसिला जारी रहा तो समुद्र में रहने वाले छोटे-बड़े सभी जीवों का जीवन संकट में पड़ जाएगा....अगर ऐसा होता है तो इसका असर मानव जाति पर भी पड़ेगा।


अब सवाल ये उठता है कि समुद्र का पानी इस कदर एसीडिक क्यों होता जा रहा है। तो आईए आपको बताते हैं इसकी वजह। दरअसल ये हो रहा है समुद्र के पानी में लगातार मिल रहे कार्बन डाइऑक्साइड के कारण। और ये कार्बन डाइऑक्साइड हमारी नासमझी के कारण ही समुद्र के पानी में मिल रहा है। ये कार्बन डाइऑक्साइड मुख्य रूप से कोयला, तेल और गैस के जलने के बाद समुद्र के पानी में मिलने से परेशानी पैदा कर रहा है। ऐसा नहीं है कि ये केवल मानव निर्मित ही होता है बल्कि प्राकृतिक तौर से ज्वालामुखी विस्फोट से निकले लावा से भी कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा समुद्र के पानी में बढ़ रही है। हम प्राकृतिक आपदाओं पर तो काबू नहीं पा सकते लेकिन मानव निर्मित प्रदूषण पर तो जरूर लगाम लगा सकते हैं। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगर समय रहते इसपर काबू नहीं पाया गया तो इस शताब्दी के अंत तक काफी विनाशकारी परिणाम देखने को मिल सकते हैं...क्योंकि लगभग साढ़े 6 करोड़ साल पहले डायनासोर के विलुप्त होने के समय भी समुद्र का पानी काफी एसीडिक हो गया था...तो आप भी जाग जाईए..संभल जाईए...क्योंकि अभी भी वक्त है...

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