Friday 14 August, 2009

सिकुड़ता ग्रह


आईए आज हम आपको बताते हैं कि बुध ग्रह पर क्या हलचलें चल रही है। क्यों इस ग्रह को लेकर वैज्ञानिकों के बीच गहमा गहमी बढ़ गई है। क्या ये ग्रह छोटा हो रहा है...क्या ये ग्रह धीरे-धीरे ख़त्म हो जाएगा...और इससे हमारी धरती पर क्या प्रभाव पड़ सकता है

बुध ग्रह...सूर्य के सबसे नजदीक का ग्रह...इस ग्रह को सूर्य का एक पूरा चक्कर लगाने में केवल 88 दिन ही लगते हैं। इस ग्रह का आकार पृथ्वी का लगभग एक तिहाई है लेकिन ये चंद्रमा से थोडा़ बड़ा है। बुध ग्रह चुंकि सूर्य के काफी नजदीक है इसलिए इसके सतह पर तापमान काफी ज़्यादा रहता है लेकिन इसका गुरुत्वाकर्षण शक्ति काफी कम होने के कारण इसके दिन और रात के तापमान में ही करीब 600 डिग्री का फर्क रहता है। मार्च 1975 से पहले तक ये ग्रह एक अबूझ पहेली बना हुआ था...पर मैरीनर नाम के एक अंतरिक्ष यान ने इस ग्रह के पास पहुंचकर उसके बारे में काफी जानकारियां वैज्ञानिकों को मुहैया कराई.. जिससे ग्रह के बारे में काफी भ्रांतियां ख़त्म हो गई। लेकिन तब भी उस अंतरिक्ष यान ने बुध ग्रह के केवल 45 फीसदी हिस्से का मुआयना किया था।


अब जो हम आपको बताने जा रहे हैं उसे सुनकर आपको काफी हैरानी होगी...दरअसल नासा के मैसेंजर अंतरिक्ष यान ने इसी साल जनवरी में बुध ग्रह की कई तस्वीरें और जानकारियां धरती पर भेजी है...जिसके विश्लेषण के बाद वैज्ञानिकों को काफी हैरतअंगेज परिणाम मिले हैं। उसके मुताबिक ग्रह पर ज्वालामुखी विस्फोटों का काफी लंबा इतिहास रहा है...जिसके कारण ग्रह पर काफी लंबी चौड़ी खाईयां बन गई है ये खाईयां 4-5 फीट से लेकिर 1000 किलोमीटर की परिधि वाली हैं। ग्रह पर सब ओर लावा ही लावा छाया हुआ है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस ग्रह से आए दिन उल्का पिंड टकराते रहते हैं जिससे भी ग्रह की ये हालत हुई है। वैज्ञानिकों को ये जानकर भी काफी हैरानी हुई है कि ये पूरा ग्रह अब धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है...इस ग्रह के आकार में वैज्ञानिकों की सोच से ज़्यादा सिकुड़न आई है। ये ग्रह लगभग डेढ़ किलोमीटर छोटा हो गया है...और ऐसा इस ग्रह के कच्चे लोहे के जमने से हुआ है। हालांकि मैसेंजर ने इस ग्रह का लगभग 75 प्रतिशत हिस्से का ही मुआयना किया है लेकिन इस दौरान जो सबसे चौकाने वाला तथ्य सामने आया है वो है ग्रह के वातावरण में मिले सिलीकन, सोडियम और पानी के कण...वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्रह में पानी के कण मिलना अपने आप में काफी चौंकाने वाली बात....वैसे वैज्ञानिकों के पास इसके बारे में काफी तर्क हैं। और जहां तक इस ग्रह पर होने वाली हलचलों का धरती पर प्रभाव पड़ने का सवाल है तो...वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती पर इसका कोई असर नहीं होगा।...अब इंतजार है वर्ष 2011 का जब मैसेंजर अपनी यात्रा के दौरान एक बार फिर बुध ग्रह के पास पहुंचेगा और फिर उस ग्रह के कई रहस्यों पर से पर्दा उठेगा....

1 comment:

संगीता पुरी said...

इसके बाद ज्‍योतिष शास्‍त्र के नियमों को परिवर्तित करने की भी जरूरत न आ पडे .. जानकारी देने के लिए धन्‍यवाद !!