Wednesday 12 August, 2009

मिल गई एक और धरती

पूरे विश्व में जिस तरह से जनसंख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है उससे ये लगने लगा है कि जल्दी ही पूरी जनसंख्या को सभालने के लिए हमारी धरती छोटी पड़ जाएगी...इसी को देखते हुए वैज्ञानिकों ने नई धरती की खोज शुरू कर दी है..और इस खोज में उन्हे काफी हद तक सफलता भी मिली है..तो आईए आपको बताते हैं इस नई धरती के बारे में...इस धरती की खोज को वैज्ञानिक बहुत बड़ी कामयाबी मान रहे हैं। लेकिन अभी उनका शोध बहुत शुरुआती दौर में है। वैज्ञानिकों की शोध को अगर सच माने तो ये नई धरती अपनी धरती से काफी मिलती जुलती है...

वैज्ञानिकों के कई वर्षों की कड़ी मेहनत का नतीज़ा है ये धरती। इस धरती की आयु है एक से डेढ़ करोड़ वर्ष। हालांकि इस धरती की उम्र अपनी धरती से काफी कम है। लेकिन दोनों ही ग्रहों में काफी समानताएं पाई गई हैं। धरती से क़रीब 430 प्रकाश वर्ष दूर मिले इस ग्रह का पता नासा के स्पीट्जर स्पेस टेलिस्कोप से चला है...ये टेलिस्कोप धरती से बाहर अंतरिक्ष में स्थित है और इन्फ्रारेड लाईट की पद्धति पर काम करती है। इसी टेलिस्कोप की सहायता से वैज्ञानिकों ने इस नई धरती के बारे में कई दिलचस्प जानकारियां इकट्ठी की है। हालांकि इससे पहले भी ऐसे कुछ ग्रहों का पता चला था... लेकिन उन ग्रहों में धरती से इतनी समानता नहीं थी। हम आपको जिस नई धरती के बार में बता रह हैं वो भी सूर्य की तरह के ही एक तारे के चारो तरफ धूमती है...साथ ही साथ ये अपने अक्ष पर भी धरती के समान ही धुर्णन करती है। इसके अलावा इस ग्रह की अपने तारे से दूरी भी पृथ्वी और सूर्य की दूरी के बराबर ही है। सबसे चौंकाने वाली जानकारी जो इस ग्रह के बारे में पता चली है वो है इस ग्रह पर पानी पाए जाने की संभावना... क्योंकि पृथ्वी के समान ही वायुमंडल वाले इस ग्रह का बाहरी आवरण बर्फ से ढ़का हुआ है।
पृथ्वी से मिल रही समानताओं ने वैज्ञानिकों को ये सोचने पर भी मजबूर कर दिया है कि क्या इस नई धरती पर भी जीवन है। और अगर यहां जीवन है तो वो किस अवस्था में है। और अगर वो काफी विकसित है तो क्या यहीं से धरती पर उड़न तश्तरियां आती हैं। इन्ही सब संभावनाओं को खंगालने के लिए वैज्ञानिक इस ग्रह पर और शोध करने में जुट गए हैं। लेकिन इन सब के बीच जो सबसे बड़ी अड़चन है...वो है इस नई धरती की पृथ्वी से दूरी....ये दूरी अरबों किलोमीटर होने के कारण...इस ग्रह के आस-पास किसी अंतरिक्ष यान का पहुंचना मौजूदा तकनीक के मुताबिक असंभव सा लग रहा है...

5 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सारी बातें सही हैं लेकिन एक तो यह कि उड़नतश्तरियों का अस्तित्व अभी तक प्रमाणित नहीं है। दूसरा यह कि उड़न तश्तरी के वहाँ से यहाँ आने में प्रकाश की गति से भी 430 वर्ष लगेंगे। तब तक उड़न तश्तरी के सवारों की कई पीढ़ियाँ गुजर चुकी होंगी।

Unknown said...

sab kuchh bhavishya k garbh me hai..............
dekhen ye unt kis karvat baithtaa hai......

परमजीत सिहँ बाली said...

भविष्य ही इस का जवाब दे सकेगा....

ओम आर्य said...

sahi hai bhawtshy hi jawwab de payega

दिगम्बर नासवा said...

KYA PATA VAHAAN PAR BHI PRITHVI JITNEHI PRAANI MOUJOOD HO.......BHAI IS KA JAWAAB TO BHAVISHY HI BATLAAYEGA....