Tuesday, 3 March 2009

राजनितिक दलों से अपेक्षा

चुनाव आयोग ने चुनावों की घोषणा कर दी है। पंद्रहवी लोकसभा की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। लोकतंत्र के इस महापर्व में करीब ७१ करोड़ से ज्यादा मतदाता मतदान कर सकेंगे। इस चुनाव में आम जनता के साथ-साथ सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी राजनीतिक दलों की। इस देश की जनता को उन्हीं उम्मीदवारों को वोट देने का हक होगा जो राजनीतिक दल चुनाव में उतारेंगे। ऐसे में लोकतंत्र के इस महासमर में राजनीतिक दलों से अपेक्षा बढ़ जाती है। राजनीतिक दलों को चाहिए की वे ऐसे उम्मीदवार चुनाव में उतारें जो कम से कम इस देश की परम्परा के वाहक हो। उनके अन्दर किसी धर्म, जाति के प्रति द्वेष न हो। उन्हें देश की गंगा-जमुनी संस्कृति का आदर करना आता हो। उन्हें देश के हर कोने पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण का सम्मान हो और वे इसी आधार पर अपना चुनावी प्रचार न करें। कहना न होगा की यह आज की पार्टियों को नागवार गुजर सकता है। क्योंकि ऐसी पार्टी गिने चुने ही दिखती है। जो दिखती है उसकी इतनी ताकत नहीं की वे राजनीतिक जोड़-तोड़ कर सत्ता की सीढियों पर चढ़ सकें। ऐसे में जनता बेचारी क्या करे ये एक बड़ा सवाल है।

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