Tuesday 6 October, 2009

पहाड़ चढ़ने वाले पेड़-पौधे

पेड़-पौधों की कुछ ऐसी प्रजातियां पाई गई हैं जो धीरे-धीरे पहाड़ पर चढ़ रहे हैं.. अगर आपको ये मज़ाक लग रहा है तो फिर सतर्क हो जाईए...क्यों कि पेड़-पौधे के पहाड़ पर चढ़ने की बात बिलकुल सच है...और ये सब हो रहा है अमेरिका और यूरोप में...तो आईए जानते हैं कि कैसे ये पेड़-पौधे पहाड़ और ऊपरी इलाकों में चढ़ रहे हैं।

फ्रांस के वैज्ञानिकों ने पेड़-पौधे के ऊपरी इलाकों में चढ़ने की ख़बर से दुनिया भर के वैज्ञानिकों को चौंका दिया है...लेकिन जब अमेरिका के वैज्ञानिकों ने भी इसकी पड़ताल की तो उन्होने भी इसे सही पाया। ये पूरा शोध पश्चिमी यूरोप के 6 पर्वत श्रृंखलाओं के आस-पास के इलाकों में किया गया। शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि इन इलाकों के पेड़ पौधे हर दशक में 29 मीटर की रफ़्तार से ऊंचे स्थान की ओर रुख कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने पेड़-पौधों की इस प्रवृति को जांचने के लिए वर्ष 1905 से लेकर वर्ष 2005 तक पेड़-पौधों के स्थानों की जांच की...इस दौरान वैज्ञानिकों ने 175 प्रजाति के पेड़-पौधों का अध्यन किया...जिसमें से 118 प्रजाति के पेड़ पौधों ने अब ऊंचाई की ओर रुख कर लिया है...लेकिन पेड़-पौधों का ऊंचाई की ओर रुख करना वैसा नहीं है जैसा कि आप सोच रहे हैं।

दरअसल ग्लोबल वार्मिंग के कारण इन पेड़-पौधे को मैदानी इलाकों में सही वातावरण नहीं मिल रहा है...जिसके कारण जब इन पेड़-पौधों के बीज हवा के द्वारा बिखरते हैं तो ये अपनी पुरानी जगह पर नहीं उग पाते हैं और इन्ही में से जो बीज हवा के झोंके से थोड़े ऊपरी इलाकों में पहुंच जाते वो वहां पर उग आते हैं...इस तरह से ये पेड़-पौधे धीरे-धीरे गर्म मैदानी इलाकों को छोड़कर थोड़े ठंडे वातावरण में ऊपरी इलाकों में पहुंच जाते हैं। हालाकि ये प्रवृति बड़े पेड़ों की तुलना में छोटे पौधों और झाड़ियों में ज्यादा पाई जा रही है। क्यों कि इन पौधों और झाड़ियों की आयु काफी कम होती है और इसमें प्रजनन की क्रिया काफी जल्दी-जल्दी होती है। जिस तरह से तापमान में फर्क होने के कारण इन पौधों के पहाड़ी इलाकों का रुख करने के प्रमाण मिले हैं उससे भारत के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं...उन्होने भी अब इस मामले में जांच पड़ताल शुरू कर दी है कि क्या पेड़-पौधों की कोई ऐसी प्रजाति है जो मैदानी इलाकों को छोड़कर अब ऊपरी इलाकों में चली गई हो। और अगर ऐसा हो रहा है तो ये हमारे लिए एक तरह की चेतावनी है...

2 comments:

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

रोचक और मजेदार जानकारी है, आभार।
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बोटी-बोटी जिस्म नुचवाना कैसा लगता होगा?

शरद कोकास said...

पेड--पौधे भी तो आखिर सजीव है । और गति सजीवो का लक्षन है ।