किसी ने शायद ठीक ही कहा है..."खाली दिमाग शैतान का घर"...लेकिन अगर हमने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो ये घर छोटा हो सकता है...जी हां वैज्ञानिकों का यही कहना है कि अगर हमने अपने दिमाग से काम नहीं लिया और उसे खाली छोड़ दिया तो वो धीरे-धीरे छोटा हो जाएगा।
आईए अब हम आपको बताते हैं कि ये कैसे संभव होगा....दरअसल हम जो फैसले लेते हैं उसमें दिमाग के दो हिस्सों की अहम भूमिका होती है...ये हमपर निर्भर करता है कि हम दिमाग के किस हिस्से से ज़्यादा काम लेते हैं...इसके लिए हमें दिमाग के काम करने के तरीके को समझना होगा...दिमाग के जो हिस्से फैसले लेने का काम करते हैं उसमें से एक होता है सब-कॉर्टिकल ब्रेन और दूसरा हिस्सा है उसको चारो तरफ घेरे हुए आउटर कॉर्टेक्स। सब-कॉर्टिकल ब्रेन से हम जल्दबाजी वाले फैसले लेते हैं जैसे किसी जानवर के हमला करने की स्थिति में..किसी गर्म चीज के छू जाने पर...या फिर ऐसी कुछ स्थिति में जब तुरत फैसला लेना जरूरी होता है...लेकिन ऐसी स्थिति में कई बार दिमाग का ये हिस्सा ग़लत फ़ैसले भी ले लेता है। सब-कॉर्टिकल ब्रेन के बाहरी भाग में मौजूद आउटर कॉर्टेक्स से कोई भी फ़ैसला काफी सोच समझ कर और कई जानकारी जुटा कर लिया जाता है लेकिन इससे फैसला लेने में थोड़ा वक्त चाहिए होता है। कोई भी नीतिगत और महत्वपूर्ण फैसला लेना दिमाग के इसी हिस्से का काम होता है। दिमाग का ये हिस्सा मानव जाति के विकास के शुरूआती दिनों में नहीं था...और धीरे धीरे काफी समय बीतने के बाद दिमाग के इस हिस्से का विकास हुआ....अब वैज्ञानिकों ने जो ताज़ा शोध किया है उसके मुताबिक हमारी जीवन शैली में जिस तरह से बदलाव आ रहा है उससे दिमाग के एक हिस्से से हम बहुत कम काम ले रहे हैं...अगर ऐसी स्थिति लगातार बनी रही तो हो सकता है कि वो हिस्सा धीरे-धीरे छोटा होने लगे।
आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के एक दल ने अपने ताज़ा शोध में कई चौंकाने वाले आंकड़े जुटाए हैं जिसके मुताबिक कई बुजुर्गों का दिमाग उन्होने छोटा पाया। जांच करने पर पाया गया कि उन बुजुर्गों ने दिमाग लगाने वाले ज़्यादा काम नहीं किए थे। इस आधार पर वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अगर दिमाग को छोटा होने से बचाना है तो एक आम आदमी को भी ज़्यादा से ज़्यादा दिमाग का इस्तेमाल करते रहना चाहिए। इसके लिए उन्हे दिमागी कसरत, पहेलियों का खेल, नई भाषा सीखने और अन्य दिमागी काम में अपने आप को व्यस्त रखना चाहिए
Thursday, 13 August 2009
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2 comments:
bahut badiya jaanakaree hai aabhaar
इलेक्ट्रोनिक दिमाग मार्केट में ज्यादा आ गए न , इसलिए ओरिजनल दिमाग को खर्च करने की जरुरत ही महसूस नहीं होती !
जन्माष्टमी की शुभकामनाये !
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