दुनिया भर के मौसम में अचानक बदलाव आएगा लेकिन ये अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरीके से अपना प्रभाव दिखलाएगा। ये चेतावनी हम नहीं बल्कि वो वैज्ञानिक दे रहे हैं जो पिछले सौ साल के मौसम में आए बदलाव का वैज्ञानिक पद्धति से अध्यन कर रहे हैं। उन्होने पिछले कई साल में कई इलाकों के तापमान में आए परिवर्तन का भी गहन अध्यन किया है। इसके आधार पर उन्होने उस अनुमान को ठुकरा दिया है जिसमें मौसम में धीरे-धीरे बदलाव आने की बात कही गई थी।
वैज्ञानिकों ने इसके लिए अमेरिका के अलास्का और दक्षिण अफ्रीका के कुछ इलाकों के मौसम में तेजी से आए बदलाव का उदाहरण दिया है। दक्षिण अफ्रीका के कुछ इलाकों में तो 1960 में इतनी तेजी से मौसम में बदलाव आया कि वहां की उपजाऊ ज़मीन रेगिस्तान में तब्दील हो गई। अभी के ताज़ा उदाहरण में नार्वे और आयरलैंड को भी शामिल किया गया है जहां पर बहुत तेजी से मौसम में बदलाव आ रहा है।
वैज्ञानिकों ने यूरोप, उत्तरी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, रूस, अफ्रीका, खाड़ी देशों, बांग्लादेश और भारत के कई इलाकों को चिन्हित किया है जहां के मौसम में तेजी से बदलाव आ सकता है। और अगर हम अपने भारत की बात करें तो कई इलाकों इसका आंशिक असर भी दिखने लगा है। शोध के मुताबिक बारिश में सामान्य से दस प्रतिशत की गिरावट सूखा आने के संकेत दे सकते हैं। मौसम में आने वाले ये बदलाव दस से बीस साल तक जारी रह सकता है। वैज्ञानिकों ने इस बदलाव के लिए ग्लोबल वार्मिंग के अलावा समुद्री हवाओं के रुख में आ रहे बदलाव को बड़ी वजह बताया है।
समुद्री हवाओं के तेजी और रुख में ये बदलाव समुद्र के किसी छोर में एक हल्के से परिवर्तन से हो सकता है। वैज्ञानिकों ने ऐतिहासिक शीत युग के लिए भी इसी हवा को जिम्मेदार ठहराया है। समुद्री हवाओं में आने वाला ये बदलाव सतही हवाओं में भी परिवर्तन ला सकता है जिससे मौसम में बदलाव आना स्वाभाविक ही होगा। लेकिन वैज्ञानिकों के इस चेतावनी को हमें सकारात्मक तरीके से लेना चाहिए ताकि हम इस बदलाव को आने से पहले ही उसे रोक दें...क्यों कि अगर ऐसा होता है तो पिछली घटनाओं की तरह ही करोड़ों लोग प्रभावित होंगे...इसमें से लाखों की मौत हो सकती है और लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ सकता है।
Wednesday, 19 August 2009
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2 comments:
Are, ye to chinta ki baat hai.
( Treasurer-S. T. )
दिखने लगा है यह बदलाव !!
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