Thursday, 20 August 2009

आज भी मौजूद हैं डायनासोर


क्या आपको पता है कि डायनासोर आज भी मौजूद हैं...ये सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है लेकिन ये सौ फीसदी सच है.. डायनासोर, ये शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों डायनोस और साउरोस को मिलाने से बना है। इसका मतलब होता है डरावनी छिपकली। ये शब्द सबसे पहले 1842 में सामने आया और इसके बाद प्रचलित हो गया। आज हम जिस डायनासोर की बात कर रहे हैं उसने आज से तकरीबन 23 करोड़ साल पहले से लेकर साढ़े 6 करोड़ साल पहले तक पूरी धरती पर राज किया। इसके बाद कुछ कारणवश इनकी पूरी प्रजाति विलुप्त हो गई। हालांकि इनके विलुप्त होने को लेकर वैज्ञानिकों में मतभेद है लेकिन यहां हम उस घटना को प्रलय मानकर चल रहे हैं।


अब सवाल ये उठता है कि उस प्रलय से बचकर कुछ डायनासोर आज भी कैसे ज़िदा हैं। दरअसल क़रीब 3400 प्रजातियों वाले इस डायनासोर में तो कुछ 60 मीटर लंबे चौड़े थे तो कुछ का आकार आज के मुर्गे के बराबर भी था। इसमें से कुछ उड़ सकते थे तो कुछ पानी में तैर सकते थे। कुल मिलाकर इनके अंदर काफी विभिन्नताएं थीं। वैज्ञानिकों के अंदर ये धारणा थी कि मगरमच्छ और घड़ियाल, डायनासोर के ही परिवर्तित रूप हैं लेकिन उनकी ये धारणाएं ग़लत साबित हुई...हालांकि ये जरूर है कि इनका आपस में काफी नज़दीकी संबंध है।


वैज्ञानिकों ने जब डायनासोर के अस्थियों और हड्डियों से प्रोटीन को निकाल कर विश्लेषण किया तो उन्हे ये जानकर हैरानी हुई कि ये प्रोटीन आज के कुछ पक्षियों से काफी मिलते थे। इसी आधार पर वैज्ञानिकों ने एक एनिमेशन के माध्यम से डायनसोर के पक्षी बनने तक के सफर को बयां किया..पहले वर्ष 2003 में वैज्ञानिकों ने डायनासोर की हड्डियों में से मिले प्रोटीन का विश्लेषण किया और बाद में वर्ष 2005 में वैज्ञानिकों ने डायनासोर के t-rex हड्डियों से मिले मुलायम ऊत्तकों का विश्लेषण किया...दोनों विश्लेषणों से वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि डायनासोर की थेरोपॉड प्रजाति धीरे-धीरे पक्षी में परिवर्तित हो गई होगी। इस आधार पर उन्होने आज के पक्षियों का विश्लेषण किया... जिसमें उन्होने शुतरमुर्ग और उसके समवर्ग पक्षियों और डायनासोर की थेरोपॉड प्रजाति की शारीरिक बनावट और उनके अंदर मौजूद तत्वों में काफी समानताएं पाई।

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