एलियंस की मौजूदगी कहां कहां हो सकती है...ये जानकारी हासिल करने के लिए दुनिया के तमाम वैज्ञानिक जुटे रहे हैं ये कहानी तब से शुरू हुई जब पहला इंसानी कदम ने चांद को छुआ
दुनिया में पहली बार चांद पर कदम रखने वाले अमेरिकी नागरिक नील आर्मस्ट्रांग ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि चांद पर बाकायदा एलियन की कॉलोनी है ...उन्होंने यह भी कहा था कि एलियंस ने उन्हें इशारों में लौटने का संकेत भी किया था ...नील ने ये भी कहा कि मैं उनके बारे में ज्यादा बात कर दुनिया में दहशत नहीं फैलाना चाहता..लेकिन इतना जरुर था कि उनके शिप हमारे शिप से आकार में काफी बड़े थे। उनकी टेक्नोलॉजी हमसे ज्यादा विकसित लगी।
1969 से लेकर 1972 तक अमेरिका के छह अपोलो मिशन चांद पर गए। बताया जाता है कि अंतरिक्ष यात्री जब चांद पर पहुंचे....तो सबसे पहले उनका वास्ता..वहां पहले से बसे दूसरे ग्रह के जीवों से यानि एलियंस से पड़ा, जिन्होंने अमेरिकियों को चांद छोड़कर जाने की चेतावनी दी...। ये खबर रुसी अखबार प्रावदा ने रुस के एक टीवी न्यूज़ चैनल पर एक डोक्यूमैंट्री के हवाले से प्रसारित भी की। प्रावादा ने शक जताया कि जो भी चांद पर पहुंचा उन सभी का एलियंस से पाला पड़ा लेकिन नासा ने पुरी दुनिया से लगातार ये बात छुपाए रखी। जबकि नासा का कहना है कि अपोलो मिशन से जुड़े कई द्स्तावेज, तस्वीरें और फुटेज खो गई है जबकि सूत्र कहते हैं कि तस्वीरें खोने की बात महज सी आई ए का एक बहाना है। प्रावादा के मुताबिक अमेरिकी अंतरिक्षयात्रियों ने अपनी ओर से मैसेज सेंटर को जो मैसेज भेजे थे उनमें यू एफ ओ यानि अन आईडेंटिफाईड फ्लाईंग ऑब्जेक्ट्स देखे जाने और चांद पर कुछ उजड़ी हुई बस्तियां देखे जाने की बात है लेकिन इन कम्यूनिकेशन डॉक्यूमेंट्स को गायब कर दिया गया .
ध्यान देने की बात है कि 1972 के बाद कोई भी व्यक्ति चांद पर नहीं गया ...तो सवाल ये उठता है कि नित नए खोज करने वाले अमेरिकी वैज्ञानिकों सहित नासा ने आखिर चांद पर दूसरे लोगों को भेजना क्यों बंद कर दिया है ... 1972 से लेकर 2008 तक ...नासा ने चांद पर किसी को क्यों नहीं भेजा ...तो क्या इस बात से जाहिर नहीं होता कि हो न हो ...अमेरिकी वैज्ञानिकों ने चांद पर जो कुछ देखा उसे दुनिया से छुपाने की कोशिश कर रहे हों या फिर ऐसा तो नहीं कि एलियंस से निपटने के लिए नासा नई तैयारियों में जुटा है .. जाहिर सी बात ये भी है कि इस सच को छुपाने में अमेरिका कहीं न कहीं अपने हित की भी सोच रहा है ...पर अहम सवाल अब भी वहीं रह जाता है कि आखिर अमेरिका का इसमें कौन सा हित छिपा है ...
Sunday, 16 August 2009
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2 comments:
रोचक है यह जानना ..
बेहद रोचक्!!!
एक नवीन दृ्ष्टिकोण्!
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