सेटेलाइट से अंटार्कटिक के एक ख़ास हिस्से के लिए गए चित्रों ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है। इस चित्र के मुताबिक अंटार्कटिक का एक हिस्सा जो कि विलकिन्स आइस सेल्फ़ के नाम से जाना जाता है वो कुछ ही वर्षों में उससे अलग हो जाएगा। 16,000 वर्ग किलोमीटर लंबे चौड़े ये आइस सेल्फ़ उत्तरी आयरलैंड के बराबर है। विलकिन्स आइस सेल्फ़ में पिछली शताब्दी में लगभग कोई परिवर्तन नहीं हुआ था लेकिन 1990 के बाद से इसमें तेजी से परिवर्तन होने लगा...वर्तमान में छारकोट आईलैण्ड से लगे हुए इस आइस सेल्फ़ का वो हिस्सा जो इसे आईलैण्ड से जोड़े हुआ था पिघलने लगा है। अब हालात ये है कि विलकिन्स आइस सेल्फ़ केवल 2.7 किलोमीटर चौड़ी पट्टी से आईलैण्ड से जुड़ा हुआ है। वैज्ञानिकों ने भी जब आइस सेल्फ का मुआयना किया तो सेटेलाइट से लिए गए चित्र को सही पाया। इससे पहले 1990 में वैज्ञानिकों ने ये अनुमान लगाया था कि विलकिन्स आइस सेल्फ़ आने वाले 30 साल में आईलैण्ड से अलग हो जाएगा लेकिन उनका ये अनुमान ग़लत निकला अब ये घटना उनके अनुमान से भी पहले ही घटित हो जाएगी।
अब सवाल ये उठता है कि ऐसा क्यों हो रहा है और आने वाले दिनों में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा...वैज्ञानिकों ने इसके लिए ग्लोबल वार्मिंग को ही जिम्मेदार ठहराया है लेकिन आइस सेल्फ का एक बड़ा हिस्सा ऐसे वक्त में टूटा है जब उस इलाके में तापमान काफी नीचे था...ऐसे में वातावरण के तापमान से बर्फ के पिघलने की आशंका कम हो जाती है...एक दूसरे अनुमान के मुताबिक वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि दक्षिणी समुद्र से आने वाले गर्म पानी के कारण ही आइस सेल्फ के हिस्से पिघल रहे हैं। वैज्ञानिक इस घटना से काफी चिंतित हैं क्यों कि इससे पहले भी 6 छोटे-छोटे आइस सेल्फ़ अंटार्कटिक से टूट कर अलग हो चुके हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक इन घटनाओं से समुद्र के जलस्तर में भी फर्क आएगा। वैज्ञानिकों ने इस शताब्दी के अंत तक जलस्तर में 28 से 43 सेंटीमीटर के इज़ाफे का अनुमान लगाया था लेकिन अब एक ताज़े शोध के मुताबिक समुद्र का जलस्तर एक से डेढ़ मीटर तक बढ़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो दुनिया भर में समुद्र किनारे के शहरों में समुद्र का पानी घुस जाएगा। इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित होगा बांग्लादेश जिसके क़रीब आधे शहर समुद्र की भेंट चढ़ जाएंगे...साथ ही चीन में भी करोड़ों की आबादी को विस्थापित करने की नौबत आ जाएगी। समुद्र के जलस्तर बढ़ने से होने वाले परिणाम से हमारा देश भी अछूता नहीं बचेगा...क्योंकि हमारे देश के भी कई शहर समुद्र के किनारे बसे हुए हैं। इसलिए अब समय आ गया है कि हम आने वाले समय को बेहतर बनाने के लिए आज सतर्क हो जाएं और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए अपने स्तर पर ही सही लेकिन कोशिश जरूर करें..
Monday, 24 August 2009
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2 comments:
खौफ़नाक जानकारी
Sabak lene ki zaroorat.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
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