वैज्ञानिकों के ताज़ा शोध के मुताबिक इस बात की प्रबल संभावना है कि जीवन की उत्पत्ति में हीरे की अहम भूमिका रही हो। वैज्ञानिकों की माने तो करोड़ों साल पहले हीरे की हाइड्रोजन के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया हुई होगी...जिसके बाद हीरे के सतह पर एक ऐसे जलीय सतह का निर्माण हुआ होगा...जो धरती से उल्कापिंड के टकराने के बाद उसमें मौजूद जीवन कारकों के लिए काफी मददगार साबित हुआ होगा...और इसी जीवन कारक के हीरे के सतह पर मौजूद जलीय सतह से प्रतिक्रिया करने से जीवन की उतपत्ति हुई होगी। हालांकि ये वैज्ञानिकों का अनुमान मात्र ही है...और अभी भी इस मामले में शोध चल रहा है।
अब हम आपको जो बताने जा रहे हैं उसे जानकर आपको और भी हैरानी होगी...आपने कभी ना कभी काले हीरे के बारे में जरूर सुना होगा...इसे विज्ञान की भाषा में कार्बोनेडो कहते हैं...वैज्ञानिक इस काले हीरे की उत्पत्ति को भी उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने से जोड़कर देखते हैं। उनके मुताबिक पृथ्वी से टकराने वाले एक उल्कापिंड में ही कुछ किलोमीटर की परिधि वाला कार्बोनेडो मौजूद था...अगर ये सच है तो हम कह सकते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा हीरा कुछ किलोमीटर लंबा-चौड़ा था....वैज्ञानिकों ने कार्बोनेडो की उत्पत्ति पर किए गए अपने दावे की पुष्टि के लिए उसके उत्पत्ति स्थल को आधार बनाया है...दरअसल दुनियाभर में ये काला हीरा केवल ब्राजील और मध्य अफ्रीका के ही कुछ इलाकों में पाए जाते हैं...इसके आगे वैज्ञानिकों ने ये भी बताया कि दुनियाभर में 1900 ईस्वी से लेकर अभी तक क़रीब 600 टन हीरे ख़दानों से निकाले जा चुके हैं लेकिन इनमें से एक भी काला हीरा नहीं था। इससे ये बात साफ हो जाती है कि काला हीरा एक विशेष स्थान में ही मिल रहा है...जिससे ये बात लगभग सही मालूम पड़ती है कि ये काला हीरा दूसरे हीरों की तरह प्राकृतिक तरीके से नहीं बना है। इसलिए आप जब भी कभी हीरे की ख़रीददारी करें तो आपको ये मालूम रहे कि ये वाकई अनमोल हैं...और जिस तरह से ये हीरे करोड़ो साल बाद हमारे पास मौजूद हैं उससे तो ये बस यही बात साबित होती है कि...हीरा है सदा के लिए...
Sunday, 13 September 2009
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