Tuesday, 8 September 2009

बदल रहा है अंटार्कटिका

अंटार्कटिका जैसा आज है वैसा हमेशा से था..बिलकुल नहीं बल्कि बहुत पहले अंटार्कटिका में लगभग जम्मू जैसे हालात थे। वहां पर बहुत कुछ आज के जैसा नहीं था...हो सकता है अंटार्कटिका का नाम सुनते ही आपकी कंपकपी छूट जाती हो...लेकिन अंटार्कटिका सब दिन से ऐसा नहीं था। यहां पर एक वक्त ऐसा भी था जब या तो बर्फ बिलकुल नहीं थे या फिर बहुत कम मात्रा में थे। अब सवाल ये उठता है कि हम किस वक्त की बात कर रहे हैं...तो आपको बता दें कि वो वक्त था आज से चार करोड़ साल पहले का। इस बात का पता चला है न्यूज़ीलैंड में मिले एक जीवाश्म से....अब आपको लग रहा होगा कि अंटार्कटिका का भला न्यूजीलैंड से क्या रिश्ता है...तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जहां पर न्यूज़ीलैंड आज मौजूद है करोड़ों साल पहले वो वहां पर नहीं था बल्कि वो अपने मौजूदा जगह से क़रीब 1100 किलोमीटर दक्षिण की ओर अंटार्कटिका के पास मौजूद था।


वैज्ञानिकों ने जब उस जीवाश्म की पड़ताल की तो उन्हे ये भी पता चला कि अंटार्कटिका के पास समुद्र के पानी का तापमान भी 23 से 25 डिग्री सेल्सियस हुआ करता था। आजकल जिस तरह से आइस शेल्फ और ग्लेशियर पिघल रहे हैं उससे तो यही लगता है कि..हो सकता है एक दिन ऐसा आए कि अंटार्कटिका फिर से अपने पुराने रूप में लौट जाए। इसका कुछ-कुछ असर इसके आसपास के आइलैंड पर देखने को मिल रहा है जहां पर रहन-सहन और फसलों के तरीके बदलने लगे हैं।


अब हम आपको जो बतलाने जा रहे हैं वो और भी चौंकाने वाली जानकारी है...वैज्ञानिकों ने जब अंटार्टिका के अंदरुनी सतहों का बारिक अध्यन किया तो उन्हे पता चला कि अंटार्कटिका के बर्फ की मोटी सतहों के नीचे अथाह तेल और प्राकृतिक गैस का भंडार है...एक अनुमान के मुताबिक उस तेल और गैस के भंडार से दुनिया भर के तीन साल की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। उस भंडार पर क़ब्जा करने के लिए कई देशों के बीच होड़ भी लग चुकी है...पर जरूरत होगी ऐहतियात कि ताकि कुदरत के साथ हो रहे छेड़छाड़ को और बढ़ावा ना मिल सके...

1 comment:

Vinay said...

अच्छी जानकारी है