क्या आपको पता है कि एक बेशकीमती हीरा आप तक पहुंचने में कितना लंबा सफर तय करता है। वैसे आपलोगों को इस बात की जानकारी तो होगी ही कि हीरे कैसे तराशे जाते हैं लेकिन शायद आपको ये पता नहीं होगा कि जिस पत्थर को तराश कर हीरा बनाया जाता है वो कैसे बनता है और कैसे धरती के सतह पर आता है। आईए इसी की पड़ताल करते हैं
आपमें से कई लोगों के पास हीरे के आभूषण होंगे...लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि इस हीरे को आपतक पहुंचने में कितना समय लगा होगा। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि एक प्राकृतिक हीरे को आप तक पहुंचने में करोड़ों साल का समय तय करना पड़ता है। अगर आपको विश्वास नहीं हो रहा है तो आईए हम आपको इसे विस्तार से बताएं...
जो हीरे आप और हम बाज़ारों में देखते हैं उसमें से अधिकतर कृत्रिम हीरे होते हैं...लेकिन जो हीरे प्राकृतिक होते हैं उसे इंसानों तक पहुंचने में एक लंबा रास्ता तय करना पड़ता है...दरअसल ये हीरे धरती के सतह से सौ किलोमीटर से भी ज़्यादा नीचे पाए जाते हैं अब सवाल ये उठता है कि ये हम तक पहुंचते कैसे हैं...जिन पत्थरों को तराश कर हीरा बनाया जाता है वो ज्वालामुखी के लावे के साथ धरती के सतह तक पहुंचते हैं और फिर खदानों की खुदाई के वक्त हमें मिलते हैं....इसके बाद उन्हे तराश कर हीरे का रूप दिया जाता है।
वैज्ञानिकों के एक सिद्धांत के मुताबिक इन हीरों में मौजूद कार्बन सूखे हुए पेड़-पौधों और मरे हुए प्राणियों से आए हैं...उनके मुताबिक ये चीज़ें धरती के काफी अंदर पहुंचने के बाद वहां की गर्मी और दबाव के कारण जीवाश्म और कार्बन में तब्दील हो गए जहां से हीरे को कार्बन मिला...लेकिन अब आधुनिक वैज्ञानिक इस सिद्धांत को नहीं मानते...क्योंकि हीरे में जो कार्बन पाए गए हैं वो पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति से भी करोड़ों साल पहले के हैं। अब सवाल ये उठता है कि हीरे को आखिरकार ये कार्बन कहां से मिले...इसके जवाब में वैज्ञानिकों ने बताया कि ये कार्बन पृथ्वी से टकराए उल्कापिंड और टूटे हुए तारों से मिले होंगे। इससे ये बात लगभग साबित हो गई है कि हीरे में मौजूद कार्बन अंतरिक्ष से आए हैं।
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